इंदौर. एडवाइजरी कंपनी बंद होने के बाद 2 कर्मचारियों ने कैफे संचालक और उसके कर्मचारी के साथ मिलकर ब्लैकमेलिंग और ठगी का गिरोह बना लिया। फेसबुक पर सक्रिय गे कम्युनिटी के लोगों को टारगेट किया और फर्जी नाम से ऐसा ही एक अकाउंट बनाया। इंजीनियरिंग के एक छात्र को झांसे में लिया और मिलने बुलाकर आपत्तिजनक वीडियो बनाने की धमकी देकर मारपीट कर लूट लिया। पुलिस ने कुछ संदेहियों को पकड़ा है।
विजयनगर पुलिस के अनुसार, पंचवटी काॅलोनी, देवास नाका का रहने वाला 23 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र थाने के बाहर खड़ा था। उसे कई घंटों से खड़ा देखकर पुलिसकर्मियों ने पूछताछ की। उसने बताया कि उसके पिता एक सरकारी विभाग में अफसर हैं। वह खुद इंजीनियरिंग का छात्र है। पिछले दिनों उसकी फेसबुक पर एक युवक से दोस्ती हुई थी। उसने खुद को गे बताया। दोनों में रोजाना घंटों चेटिंग होती थी।
कैफे में मिलने बुलाया, घर में ले जाकर लूटपाट की
एक दिन सामने वाले युवक ने मिलने का प्रस्ताव रखा लेकिन मिलने के एवज में रुपए मांगे। उसने सहमति दी तो युवक ने मंगलवार दोपहर शीतल नगर में सर्विस रोड पर एचपी पेट्रोल पम्प के पास चाय वाले कैफे पर बुलाया। वह बाइक से मिलने पहुंचा तो एक युवक ने उसे पहचानते हुए बात की और साथ में क्षेत्र के ही एक मकान में कमरे पर ले गया। यहां दोनों में बातचीत चल रही थी कि तीन-चार युवक और कमरे में आ धमके। उससे मारपीट की और धमकाया कि उन्होंने उसका आपत्तिजनक वीडियो बना लिया है। उन्होंने मारपीट करते हुए गले में पहनी उसकी सोने की चेन और मोबाइल भी छीन लिया। 5 हजार रुपए और लाने की कहकर मारपीट कर भगा दिया।
गे कम्युनिटी के लोगों को टारगेट बनाता है यह गिरोह
पुलिसकर्मियों ने टीआई तहजीब काजी को मामले की जानकारी दी। टीआई ने छात्र से पूछताछ की और फेसबुक अकाउंट के बारे में जानकारी की। एक टीम को छात्र के साथ शीतल नगर में चाय वाले कैफे पर भेजा गया। वहां हर्षित नामक युवक को छात्र ने पहचान लिया, जो कैफे मालिक निकला। हर्षित से पूछताछ की तो उसने उनके गिरोह के बारे में बताया। गिरोह का सरगना अंश राजपूत है जो साथी शैलेंद्र ठाकुर, कैफे के कर्मचारी हरिओम सोनी और एक अन्य दोस्त सुरेश के साथ मिलकर ठगी करते हैं। ये गिरोह गे कम्युनिटी के लोगों को ब्लेकमेल करता है।
शौक के लिए गिराेह बनाया था
निशानदेही पर पुलिस ने सुरेश को छोड़कर अन्य सभी आरोपियों को एक-एक कर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 384, 386, 120-बी, 34 के तहत केस दर्ज कर लिया। बताते हैं अंश, शैलेंद्र और सुरेश पहले एडवाइजरी कंपनी में नौकरी करते थे। कंपनी के बंद होने के बाद खर्चा करने और शौक को लेकर पैसों की जुगाड़ करने के लिए गिरोह बनाया और ठगी करने लगे।